Rakesh rakesh

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मेरा प्यारनीलकंठ

पुरानी कहावतें पहली नीलकंठ पक्षी के दर्शन अगर दशहरे की सुबह सबसे पहले हो जाए तो पूरे वर्ष धन से आपकी जेब खाली नहीं होगी। दूसरी सपने में अगर पानी और गंदगी दिखाई दे तो यह  धन मिलने के संकेत है।

 यह सब कहावत धनीराम अपने 60 साल के नौकर सौदान को सुना रहा था। सौदान के आगे पीछे कोई नहीं था। उसे इस दुनिया से मतलब था, तो सिर्फ तीन टाइम पेट भर खाने से।
सौदान धनीराम की छोटी सी चाय की दुकान में नौकर था। धनीराम और सौदान बचपन के मित्र भी थे। धनीराम की एक इकलौती पुत्री थी। उसका उसने 18 वर्ष की होने से पहले ही विवाह कर दिया था। 

नोटबंदी का समय था। धनीराम सुबह से भूखा प्यासा पुराने  नोट बदली करने के लिए बैंक की लाइन में लगा हुआ था। शाम को आखरी नंबर धनीराम का ही था। तभी एक व्यक्ति आता है, और धनीराम से कहता है, "भाई साहब बच्चे घर पर भूखे बैठे हैं। मुझे पुराने नोटों  बदले दो"
 उसकी भूखे बच्चों की बात सुनकर धनीराम चुपचाप बैंक की लाइन से हट जाता है। वही व्यक्ति शराब के नशे में धनीराम को मिलता है। धनीराम उसकी सच्चाई जानने के लिए उसके घर तक उसका पीछा करता है।
 धनीराम को यह देखकर खुश हो जाता है, कि वह व्यक्ति अपनी बीवी और बच्चों को खाने पीने  का सामान मंगाने के लिए सारे पैसे दे देता है। उस दिन धनीराम और सौदान अपनी चाय की दुकान से चाय बिस्कुट खा पीकर सो जाते हैं।
 दूसरे दिन एक महिला अपने पति   के दिल के ऑपरेशन की बात कहकर धनीराम को बैंक की लाइन से नंबर आने से पहले हटा देती है। 

तीसरे दिन एक व्यक्ति अपनी बेटी की शादी में पैसों की समस्या बताकर धनीराम को बैंक की लाइन से हटा देता है।
 नोटबंदी खत्म होने पर धनीराम को खुशी होती है, कि सब लोग चैन और शांति से अपना जीवन जिएंगे और धनीराम को अपनेभविष्य के लिएबैंक में पैसा जमा करने की सीख भी मिल जाती है।
 पर सौदान को खुशी इसलिए होती है, कि रोज-रोज चाय बिस्कुट खाने से तो मुक्ति मिल जाएगी।
 कुछ साल चैन से जीने के बाद धनीराम के जीवन में एकभयानक समस्या आ जाती है। करोना महामारी लोक डॉन की वजह से धनीराम की चाय की दुकान बंद हो जाती है।
 धनीराम अपनी जमा पूंजी से खुद और सौदान को खाना खिलाता है। और लॉकडाउन में जरूरतमंदों को भी खाना खिलाता है। और अपने पैसों से उनकी और भी समस्याओं को हल करता है। इस भलाई के कार्य की वजह से धनीराम 
रातों-रात अपने क्षेत्र के विधायक से भी ज्यादा मशहूर हो जाता है। 

और विपक्षी पार्टी धनीराम को आने वाले चुनाव में उस क्षेत्र का  कैंडिडेट घोषित कर देती है।
 पर लॉकडाउन  का ईमानदारी से पालन ना करने की वजह से धनीराम और सौदान को करोना हो जाता है। अस्पताल में धनीराम भोलेनाथ जी से प्रार्थना करता है, की  अगर मेरी और सौदान की इस महामारी में जान बच गई तो हम दोनों केदारनाथ दर्शन करने आएंगे और दर्शन के बाद गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन करवाएंगे। और साथ ही दानपुर भी करेंगे।
 नीलकंड महादेव उसकी प्रार्थना सुन लेते हैं। धनीराम सौदान की करो ना की बीमारी से जान  बच् जाती है।
 फिर दोनों भोलेनाथ जी का शुक्रिया अदा करने केदारनाथ जाते हैं। वहां  मनुष्य के ज्यादा पैसे कमाने के लालच में प्रकृति को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाने के कारण भूस्खलन हो जाता है।
 और यह दोनों जिस  मिनी बस में बैठे थे, वह मिनी बस खाई में गिर जाती है 
 भोलेनाथ जी की कृपा से बस ड्राइवर कंडक्टर सभी यात्री सुरक्षित बच  जाते हैं। लेकिन  वह सब नदी में बह कर पहाड़ों के जंगलों में कहीं गुम हो जाते हैं। 
सभी को भूखे प्यासे भटकते भटकते 3 दिन हो जाते हैं। धनीराम और सौदान  का भूख से बहुत बुरा हाल हो जाता है।
 तभी उन्हें अपने साथी भूखे प्यासे यात्रियों की शोर-शराबे की आवाज सुनाई देती है। धनीराम और सौदान आवाज सुनकर वहां जाकर देखते हैं। सब यात्रियों ने और ड्राइवर ने कंडक्टर को घेर रखा था। वह सब 500 रु /2000 रु देकर उससे3 दिन की बासी रोटी खरीदने की कोशिश कर रहे थे। और कंडक्टर उन सब को सुखी और बासी रोटी ना देकर खुद खा लेता है।और सब चुपचाप हाथ में पैसे लिए उसका मुंह देखते रहते हैं। 

तभी भारतीय सेना और पुलिस उन सबकी जान बचा कर सबको  उनके घर तक  पहुंचा देते हैं।
 केदारनाथ से सही सलामत वापस आने की वजह से राजनीति पार्टी वाले मीडिया धनीराम से भोलेनाथ बहुत  कृपा है, कहकर धनीराम को और मशहूर कर देते हैं।
 मीडिया इस खबर से मोटी कमाई कर लेती है। और राजनीति पार्टी अपना  राजनीतिक फायदा उठा लेती है।
इस तमाशे के बाद अपने क्षेत्र के विधायक के चुनावों में धनीराम निर्दलीय खड़ा होता है। और भारी बहुमत से विजई होता है।
विधायक  धनीराम 2 वर्ष के अंदर ही अपने क्षेत्र के लोगों की सारी समस्या हल कर देता है। और अपने क्षेत्र को स्वर्ग जैसा  बना देता है।
 अपने कार्य से संतुष्ट होकर धनीराम एक दिन अपने हाथों से स्वादिष्ट खाना बनाकर खुद खाता है, और सौदान को खिलाता। फिर सौदान को अपनी नई कहावत सुनाता है, कि "सच कहते हैं, की  पैसा बोलता है। पर दुनिया में रोटी ना हो और मनुष्य  के जीवन का अंत हो जाए तो पैसा गूंगा भी हो जाता है।

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9 Comments

Gunjan Kamal

16-Nov-2022 08:18 AM

Nice

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Palak chopra

07-Nov-2022 03:38 PM

Shandar 🌸🙏

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